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गुप्त साम्राज्य का स्वर्ण युग: भारत का स्वर्णिम काल

गुप्त साम्राज्य का स्वर्ण युग: भारत का स्वर्णिम काल भारत का इतिहास अनेक उतार-चढ़ावों से भरा हुआ है, लेकिन कुछ कालखंड ऐसे हैं जिन्हें "स्वर्ण युग" कहा जाता है। गुप्त साम्राज्य (लगभग 319-550 ईस्वी) का समय भारतीय इतिहास का एक ऐसा ही स्वर्णिम युग माना जाता है। इस काल में कला, साहित्य, विज्ञान, धर्म, और प्रशासन के क्षेत्र में अद्वितीय उन्नति हुई। यह लेख आपको गुप्त साम्राज्य के स्वर्ण युग की प्रमुख विशेषताओं से अवगत कराएगा। गुप्त साम्राज्य की स्थापना गुप्त साम्राज्य की स्थापना श्रीगुप्त ने लगभग तीसरी शताब्दी के अंत में की थी, लेकिन इसे वास्तविक शक्ति चंद्रगुप्त प्रथम (319-335 ईस्वी) के शासनकाल में मिली। गुप्त शासकों में सबसे महत्वपूर्ण सम्राट समुद्रगुप्त, चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य), और कुमारगुप्त प्रथम थे। उनके कुशल शासन और सैन्य अभियानों के कारण भारत एक सशक्त और समृद्ध साम्राज्य बना। प्रशासनिक व्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता गुप्त शासन व्यवस्था अत्यंत सुव्यवस्थित थी। सम्राट सर्वोच्च सत्ता के धारक थे, लेकिन स्थानीय प्रशासन को भी महत्व दिया गया था। प्रशासन को चार भागों में विभाज...