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बिरसा मुंडा: भारतीय जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायकबिरसा मुंडा: भारतीय जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक

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 Bhagwan. Birsa Munda  बिरसा मुंडा: भारतीय जनजातीय स्वतंत्रता सं ग्राम के महानायक भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनेक नायकों ने योगदान दिया, लेकिन कुछ ऐसे वीर हुए जिन्होंने अपनी वीरता और संघर्ष से इतिहास में अमिट छाप छोड़ी। ऐसे ही महानायक थे बिरसा मुंडा, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष कर जनजातीय समाज को एक नई दिशा दी। वे न केवल एक योद्धा थे, बल्कि समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता भी थे। बिरसा मुंडा का प्रारंभिक जीवन बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूंटी जिले में एक गरीब मुंडा परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सुगना मुंडा और माता का नाम करमी हातू था। बचपन में ही उनका परिवार काम की तलाश में अन्य गांवों में भटकता रहा। बिरसा की प्रारंभिक शिक्षा सलगा गांव में हुई, लेकिन गरीबी के कारण वे ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सके। बाद में उन्होंने चाईबासा में ईसाई मिशनरी स्कूल में दाखिला लिया, लेकिन ईसाई धर्म के प्रभाव से नाराज होकर इसे छोड़ दिया। बिरसा मुंडा और मुंडा विद्रोह बिरसा मुंडा का जीवन संघर्ष और प्रेरणा का प्रतीक था। उन्होंने महसूस किया कि अंग्रेजों द्वारा थोपे गए न...

"राजस्थान दिवस: वीरता, संस्कृति और गौरव का उत्सव"

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राजस्थान दिवस: वीरों की धरती का गौरवशाली उत्सव परिचय राजस्थान, जिसे "राजाओं की भूमि" कहा जाता है, अपनी गौरवशाली इतिहास, वीरता, संस्कृति और समृद्ध विरासत के लिए प्रसिद्ध है। हर वर्ष 30 मार्च को राजस्थान दिवस मनाया जाता है, जो इस राज्य के पुनर्गठन और ऐतिहासिक एकता का प्रतीक है। यह दिन राजस्थान की अद्भुत परंपराओं, लोक संस्कृति, युद्ध कौशल और ऐतिहासिक धरोहर को सम्मान देने का अवसर है। राजस्थान का इतिहास और निर्माण राजस्थान का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है, जिसमें मेवाड़, मारवाड़, जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, और जैसलमेर जैसे राज्य शामिल थे। भारत की स्वतंत्रता के बाद, 30 मार्च 1949 को जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर को मिलाकर राजस्थान का पुनर्गठन किया गया, जिसे 'राजस्थान दिवस' के रूप में मनाया जाता है। पहले इसे 'राजपूताना' कहा जाता था, लेकिन बाद में इसे राजस्थान नाम दिया गया। राजस्थान की संस्कृति और परंपराएं राजस्थान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के लोक नृत्य जैसे घूमर, कालबेलिया, चकरी और भवई विश्व प्रसिद्ध हैं। साथ ही, मांड, पंडवानी और लंगा-मां...