जोधपुर का इतिहास, परंपरा और निर्माण: एक राजसी





जोधपुर का इतिहास, परंपरा और निर्माण: एक राजसी यात्रा


राजस्थान के मरुस्थलीय हृदय में बसा जोधपुर, न केवल अपनी नीली गलियों और विशाल किलों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह एक गौरवशाली इतिहास, समृद्ध परंपराओं और अद्वितीय स्थापत्य कला का केंद्र भी है। इस लेख में हम जोधपुर के इतिहास, परंपराओं और निर्माण शैली पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जिससे पाठकों को इस ऐतिहासिक नगरी की गहराई से पहचान हो सके।


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1. जोधपुर का इतिहास (History of Jodhpur)


1.1 जोधपुर की स्थापना


जोधपुर की स्थापना 1459 ई. में राव जोधा ने की थी, जो राठौड़ वंश के एक शक्तिशाली शासक थे। राव जोधा ने मंडोर को छोड़कर एक नए गढ़ की नींव डाली जिसे बाद में "मेहरानगढ़" के नाम से जाना गया। यह किला आज भी जोधपुर की पहचान है।

1.2 राठौड़ वंश और उनके युद्ध


राठौड़ वंश ने मेवाड़, दिल्ली सल्तनत और मुगलों के साथ कई युद्ध किए। महाराजा जसवंत सिंह और महाराजा अजीत सिंह जैसे राजाओं ने अपनी वीरता और कूटनीति से जोधपुर को एक शक्तिशाली राज्य बनाया। मुगलों के समय जोधपुर औरंगजेब के अधीन आया, लेकिन राजाओं ने अपनी संस्कृति को जीवित रखा।

1.3 ब्रिटिश राज और जोधपुर


ब्रिटिश काल में जोधपुर एक स्वतंत्र रियासत बनी रही। महाराजा उम्मेद सिंह ने ब्रिटिशों के साथ सहयोग किया और आधुनिक जोधपुर की नींव रखी। रेलवे, सड़कें और आधुनिक भवनों का निर्माण इसी समय हुआ।


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2. जोधपुर की परंपरा और संस्कृति (Tradition & Culture of Jodhpur)


2.1 भाषा और बोली


यहाँ की प्रमुख भाषा मारवाड़ी है, जो राजस्थान की प्रमुख बोलियों में से एक है। हिंदी और अंग्रेजी का भी अच्छा प्रचलन है, लेकिन स्थानीय संस्कृति में मारवाड़ी की मिठास स्पष्ट रूप से झलकती है।

2.2 लोक कला और संगीत


जोधपुर की लोक संगीत परंपरा समृद्ध है। मंगणियार और लंगा समुदाय के संगीतकार विश्व प्रसिद्ध हैं। इनके द्वारा गाया जाने वाला 'पधारो म्हारे देश' गीत राजस्थान की आत्मा को दर्शाता है।

2.3 त्यौहार और मेले


जोधपुर में मनाए जाने वाले त्यौहार जैसे- मारवाड़ उत्सव, गंगौर, तेजा दशमी, और नवरात्रि, इस क्षेत्र की जीवंत संस्कृति का परिचायक हैं। इसके अलावा, मेहरानगढ़ किले में होने वाला रॉयल म्यूजिक फेस्टिवल अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है।

2.4 पारंपरिक पोशाक


यहां के पुरुष आमतौर पर धोती-कुर्ता और साफा (पगड़ी) पहनते हैं, जबकि महिलाएं घाघरा-चोली के साथ ओढ़नी धारण करती हैं। रंग-बिरंगे कपड़े इस क्षेत्र की जीवन्तता को दर्शाते हैं।


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3. जोधपुर की स्थापत्य कला (Architecture of Jodhpur)


3.1 मेहरानगढ़ किला


350 फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित यह किला जोधपुर का गौरव है। विशाल दीवारें, नक्काशीदार खिड़कियाँ और महलों की सुंदरता इसकी भव्यता को दर्शाती हैं। फूल महल, मोती महल और शिश महल इसके प्रमुख आकर्षण हैं।

3.2 उम्मेद भवन पैलेस


राजस्थान की आधुनिक वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण, उम्मेद भवन पैलेस का निर्माण 1929-1943 के बीच हुआ। यह भवन मुख्यतः बलुआ पत्थर से बना है और आज इसका एक हिस्सा होटल और संग्रहालय के रूप में विकसित किया गया है।

3.3 जसवंत थड़ा


यह सफेद संगमरमर से बनी समाधि, महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय की स्मृति में बनवाई गई थी। इसकी कलात्मक जालियों और छतरियों की नक्काशी अद्भुत है।

3.4 नीली गलियाँ और हवेलियाँ


जोधपुर को "ब्लू सिटी" कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की अधिकतर घर नीले रंग से रंगे हुए हैं। माना जाता है कि यह रंग गर्मी को कम करने और कीड़ों को दूर रखने के लिए चुना गया था। इसके अलावा, यहाँ की हवेलियाँ जैसे- तोजी की हवेली, नाथमल की हवेली, पारंपरिक राजस्थानी वास्तुशिल्प का उदाहरण हैं।


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4. जोधपुर का खानपान (Cuisine of Jodhpur)


जोधपुर का खानपान इसकी परंपरा की तरह ही विविध और स्वादिष्ट है। यहाँ के कुछ प्रमुख व्यंजन हैं:

मिर्ची बड़ा


प्याज़ की कचौरी


गट्टे की सब्जी


केर सांगरी


दाल बाटी चूरमा


मावे की कचौरी


घेवर और रबड़ी



इन व्यंजनों में राजस्थान की जलवायु और संसाधनों का सुंदर समन्वय दिखाई देता है।


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5. आधुनिक जोधपुर और पर्यटन (Modern Jodhpur & Tourism)


5.1 पर्यटन स्थल


मेहरानगढ़ किला


उम्मेद भवन पैलेस


जसवंत थड़ा


मंडोर गार्डन


राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क


क्लॉक टॉवर और सरदार मार्केट



5.2 शॉपिंग और हस्तशिल्प


जोधपुर की हस्तशिल्प कारीगरी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। बाँधनी (बांधने की कला), लकड़ी पर की गई नक्काशी, धातु के बर्तन, और जूतियाँ पर्यटकों को खूब भाती हैं।

5.3 फिल्म और फोटोग्राफी लोकेशन


जोधपुर की शाही पृष्ठभूमि के कारण यह कई बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग का स्थल रहा है। यहाँ की वास्तुकला और रंग-बिरंगी गलियाँ फोटोग्राफरों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं।


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निष्कर्ष (Conclusion)


जोधपुर केवल एक शहर नहीं, बल्कि यह इतिहास, परंपरा, संस्कृति और स्थापत्य का एक जीवंत संग्रहालय है। यहाँ का हर कोना, हर इमारत और हर उत्सव अपने भीतर सदियों की कहानियाँ समेटे हुए है। यदि आपने अब तक इस नीले शहर की सैर नहीं की है, तो अगली बार राजस्थान की यात्रा में जोधपुर को अवश्य शामिल करें




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