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मार्च, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उदयपुर का इतिहास: झीलों की नगरी की गौरवशाली गाथा

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उदयपुर का इतिहास: झीलों की नगरी की गौरवशाली गाथा उदयपुर, जिसे 'झीलों की नगरी' के नाम से जाना जाता है, राजस्थान का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर है। यह शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता, राजसी महलों, भव्य किलों और समृद्ध इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। यह लेख आपको उदयपुर के इतिहास की विस्तृत जानकारी देगा, जिसमें इसके निर्माण, महाराणाओं की वीरगाथाएं, संस्कृति और धरोहर को शामिल किया गया है। उदयपुर की स्थापना उदयपुर की स्थापना 1559 ई. में मेवाड़ के महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने की थी। जब मुगल सम्राट अकबर ने 1567 में चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया, तब महाराणा उदय सिंह ने चित्तौड़ को छोड़कर अरावली की पहाड़ियों के बीच बसे उदयपुर को अपनी नई राजधानी बनाया। यह स्थान प्राकृतिक सुरक्षा और जल संसाधनों की दृष्टि से अनुकूल था। महाराणा प्रताप और हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप, जो मेवाड़ के सबसे वीर शासकों में से एक थे, ने मुगलों के खिलाफ संघर्ष किया। 1576 में हल्दीघाटी का युद्ध अकबर की सेना और महाराणा प्रताप के बीच लड़ा गया। इस युद्ध में प्रताप ने अद्वितीय पराक्रम दिखाया, हालांकि रणनीतिक रूप से...

बिरसा मुंडा: भारतीय जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायकबिरसा मुंडा: भारतीय जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक

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 Bhagwan. Birsa Munda  बिरसा मुंडा: भारतीय जनजातीय स्वतंत्रता सं ग्राम के महानायक भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनेक नायकों ने योगदान दिया, लेकिन कुछ ऐसे वीर हुए जिन्होंने अपनी वीरता और संघर्ष से इतिहास में अमिट छाप छोड़ी। ऐसे ही महानायक थे बिरसा मुंडा, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष कर जनजातीय समाज को एक नई दिशा दी। वे न केवल एक योद्धा थे, बल्कि समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता भी थे। बिरसा मुंडा का प्रारंभिक जीवन बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूंटी जिले में एक गरीब मुंडा परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सुगना मुंडा और माता का नाम करमी हातू था। बचपन में ही उनका परिवार काम की तलाश में अन्य गांवों में भटकता रहा। बिरसा की प्रारंभिक शिक्षा सलगा गांव में हुई, लेकिन गरीबी के कारण वे ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सके। बाद में उन्होंने चाईबासा में ईसाई मिशनरी स्कूल में दाखिला लिया, लेकिन ईसाई धर्म के प्रभाव से नाराज होकर इसे छोड़ दिया। बिरसा मुंडा और मुंडा विद्रोह बिरसा मुंडा का जीवन संघर्ष और प्रेरणा का प्रतीक था। उन्होंने महसूस किया कि अंग्रेजों द्वारा थोपे गए न...

प्राचीन भारत के भूले-बिसरे योद्धा: इतिहास के अनजाने वीर

प्राचीन भारत के भूले-बिसरे योद्धा: इतिहास के अनजाने वीर भारत का इतिहास वीर योद्धाओं से भरा हुआ है। लेकिन कुछ ऐसी भी हैरान कर देने वाली बातें हैं जो उस समय के इतिहास से लगभग लुप्त हो गई थीं। ये वीरता, गांभीर्य और विरासत के उदाहरण थे। इस ब्लॉग में हम आजाद भूले-बिसरे योद्धाओं का वर्णन करेंगे, जो भारत की अस्मिता और आजादी चाहते हैं, उनकी जान तक की बाज़ी लगा दी गई थी। 1. ललितादित्य मुक्तपीड ललितादित्य मुक्तपीड कश्मीर के कर्कोटा वंश के एक महान शासक थे। इनका शासन काल 8वीं शताब्दी में था। उन्होंने अपनी सेना के बल पर पंजाब, सिंध, बंगाल और दक्षिण भारत की कुछ अलग-अलग जगहों पर अपना अधिकार जमाया। उनका सपना था भारत को नया बनाना। ये योद्धा कभी महान समुद्रगुप्त और अशोक से कम नहीं थे, लेकिन इनका नाम इतिहास में प्राचीन काल के रूप से पा नहीं सका। 2. नागभट्ट प्रथम नागभट्ट प्रथम गुर्जर-प्रतिहार वंश के प्रथम महान योद्धाओं में से एक थे। जब अरब अक्रांता भारत में प्रवेश कर रहे थे, तब उन्होंने वीरता और चतुर्थी से उन्हें त्याग दिया। उन्होंने सिंध के मुस्लिम अक्रांतों को हराया और भारत को हराया। उनके योगदान के बावज...

"राजस्थान दिवस: वीरता, संस्कृति और गौरव का उत्सव"

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राजस्थान दिवस: वीरों की धरती का गौरवशाली उत्सव परिचय राजस्थान, जिसे "राजाओं की भूमि" कहा जाता है, अपनी गौरवशाली इतिहास, वीरता, संस्कृति और समृद्ध विरासत के लिए प्रसिद्ध है। हर वर्ष 30 मार्च को राजस्थान दिवस मनाया जाता है, जो इस राज्य के पुनर्गठन और ऐतिहासिक एकता का प्रतीक है। यह दिन राजस्थान की अद्भुत परंपराओं, लोक संस्कृति, युद्ध कौशल और ऐतिहासिक धरोहर को सम्मान देने का अवसर है। राजस्थान का इतिहास और निर्माण राजस्थान का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है, जिसमें मेवाड़, मारवाड़, जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, और जैसलमेर जैसे राज्य शामिल थे। भारत की स्वतंत्रता के बाद, 30 मार्च 1949 को जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर को मिलाकर राजस्थान का पुनर्गठन किया गया, जिसे 'राजस्थान दिवस' के रूप में मनाया जाता है। पहले इसे 'राजपूताना' कहा जाता था, लेकिन बाद में इसे राजस्थान नाम दिया गया। राजस्थान की संस्कृति और परंपराएं राजस्थान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के लोक नृत्य जैसे घूमर, कालबेलिया, चकरी और भवई विश्व प्रसिद्ध हैं। साथ ही, मांड, पंडवानी और लंगा-मां...

"भारत की रियासतें: इतिहास, संस्कृति और विरासत"

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भारत की रियासत और उनका संस्कृतिक वेभव चित्र प्रस्तावना भारत की भूमि पर सैकड़ों रियासतें और राज्य हुआ करते थे, जिन्होंने अपनी अनूठी संस्कृति, परंपराओं और स्थापत्य कला से भारत को समृद्ध बनाया। इन रियासतों की विशेषता यह थी कि प्रत्येक का अपना अलग शासन तंत्र, रीति-रिवाज और सांस्कृतिक पहचान थी। हालाँकि, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद 1947 में इन रियासतों का भारत में विलय हो गया, लेकिन इनकी विरासत आज भी जीवंत है। इस ब्लॉग में हम भारत की प्रमुख रियासतों और उनकी सांस्कृतिक विशिष्टताओं पर चर्चा करेंगे। 1. राजस्थान की रियासतें राजस्थान को राजपूताने के नाम से भी जाना जाता था। यहाँ कई प्रसिद्ध रियासतें थीं, जिनमें जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, जैसलमेर और मेवाड़ प्रमुख थीं। जयपुर: गुलाबी नगरी के नाम से प्रसिद्ध, जयपुर अपनी वास्तुकला और उत्सवों के लिए जाना जाता है। यहाँ का आमेर किला, हवा महल और जयगढ़ किला प्रमुख आकर्षण हैं। जोधपुर: इसे "ब्लू सिटी" कहा जाता है और यहाँ का मेहरानगढ़ किला इसकी शान है। मारवाड़ी संस्कृति यहाँ की पहचान है। उदयपुर: झीलों का शहर उदयपुर अपनी रोमांटिक झीलों और मे...

सम्राट अशोक: भारत के महानतम शासक

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सम्राट अशोक: भारत के महानतम शासक भारत के इतिहास में सम्राट अशोक का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। वे मौर्य वंश के महानतम शासकों में से एक थे, जिन्होंने अपनी प्रशासनिक नीतियों और धार्मिक सहिष्णुता से भारतीय सभ्यता को एक नई दिशा दी। सम्राट अशोक न केवल एक कुशल योद्धा थे, बल्कि उनके शासनकाल में भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को वैश्विक पहचान मिली। --- प्रारंभिक जीवन और युवावस्था सम्राट अशोक का जन्म 304 ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट बिंदुसार के पुत्र के रूप में हुआ था। उनकी माता का नाम सुभद्रांगी था, जो एक सामान्य परिवार से थीं। अशोक का बचपन अनुशासन और कठोर सैन्य प्रशिक्षण में बीता। वे बुद्धिमान, साहसी और रणनीतिक दृष्टिकोण वाले थे, जिससे वे अपने भाइयों के बीच विशेष रूप से प्रसिद्ध हो गए। उनके पिता बिंदुसार ने उन्हें विभिन्न प्रांतों का प्रशासन संभालने के लिए भेजा, जहाँ उन्होंने अपनी योग्यता और नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। उज्जैन और तक्षशिला जैसे महत्वपूर्ण प्रांतों में प्रशासन संभालने के दौरान अशोक ने कुशल प्रशासनिक कौशल और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया। --- सिंहासन पर आरूढ़ होना 27...

भारत के प्राचीन नगर: इतिहास की धरोहर

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भारत के प्राचीन नगर: इतिहास की धरोहर भारत, जिसे सभ्यता की जननी कहा जाता है, प्राचीन काल से ही नगरों की उत्कृष्ट परंपरा का साक्षी रहा है। विभिन्न कालखंडों में विकसित नगर न केवल व्यापार, संस्कृति और प्रशासन के केंद्र रहे हैं, बल्कि उन्होंने सामाजिक और धार्मिक जीवन को भी प्रभावित किया है। इस लेख में हम भारत के कुछ प्रमुख प्राचीन नगरों के इतिहास, उनकी विशेषताओं और उनके महत्व की चर्चा करेंगे। 1. वाराणसी – आध्यात्मिकता की नगरी वाराणसी, जिसे काशी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है, विश्व के सबसे पुराने जीवंत नगरों में से एक है। यह नगर गंगा नदी के किनारे स्थित है और हिन्दू धर्म में इसे अत्यधिक पवित्र माना जाता है। वाराणसी का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है, जिससे इसकी प्राचीनता का अनुमान लगाया जा सकता है। यह नगर शिक्षा, दर्शन, संगीत और शिल्पकला का केंद्र रहा है। 2. पाटलिपुत्र – साम्राज्यों की राजधानी प्राचीन भारत के महानतम नगरों में से एक, पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) मगध साम्राज्य की राजधानी था। चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक के शासनकाल में यह नगर व्यापार और प्रशासन का प्रमुख केंद्र बन गया था। ची...

राजस्थान की सबसे पुरानी सभ्यता: इतिहासिक और विश्लेषण

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राजस्थान की सबसे पुरानी सभ्यता: इतिहासिक और विश्लेषण राजस्थान, जिसे कभी 'राजपुताना' के नाम से जाना जाता था, भारत की सबसे प्राचीन और गौरवशाली सभ्यताओं में से एक है। इस भूमि पर हजारों वर्षों से सभ्यताओं का विकास हुआ, जिनमें हड़प्पा सभ्यता, वैदिक काल, महाजनपद काल, गुप्त साम्राज्य, राजपूत साम्राज्य और मुगल तथा ब्रिटिश शासन का प्रभाव शामिल है। इस ब्लॉग में हम राजस्थान की सबसे पुरानी सभ्यता के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से चर्चा करेंगे। हड़प्पा सभ्यता और राजस्थान हड़प्पा सभ्यता (2600-1900 ईसा पूर्व) का प्रभाव राजस्थान में भी देखा गया है। कालीबंगा, जो राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है, इस सभ्यता का एक प्रमुख केंद्र था। यहां की खुदाइयों में पक्की ईंटों से बने मकान, सुव्यवस्थित जल निकासी प्रणाली, कृषि उपकरण और अग्निकुंड मिले हैं, जो दर्शाते हैं कि यह क्षेत्र सिंधु घाटी सभ्यता का अभिन्न हिस्सा था। कालीबंगा से प्राप्त हल के निशान यह प्रमाणित करते हैं कि इस क्षेत्र में कृषि अत्यंत उन्नत थी। वैदिक युग और महाजनपद काल हड़प्पा सभ्यता के पतन के बाद, वैदिक युग (1500-600 ईसा पूर्व) में राजस्था...

जयपुर: संस्कृति और इतिहास का संगम

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  राजस्थान की राजधानी जयपुर, जिसे "गुलाबी नगर" के नाम से जाना जाता है, अपनी समृद्ध संस्कृति और गौरवशाली इतिहास के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इस शहर की स्थापना 1727 ईस्वी में आमेर के राजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने की थी। यह भारत का पहला सुनियोजित शहर है, जिसे वास्तुशास्त्र और शिल्पशास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार डिजाइन किया गया था। जयपुर अपनी भव्य इमारतों, किलों, महलों, और पारंपरिक कला-संस्कृति के लिए विशेष स्थान रखता है। जयपुर का इतिहास जयपुर का इतिहास वीरता, शौर्य और स्थापत्य कला का प्रतीक है। सवाई जयसिंह द्वितीय एक कुशल प्रशासक और वैज्ञानिक सोच वाले शासक थे। उन्होंने न केवल इस शहर को बसाया, बल्कि खगोलीय गणनाओं के आधार पर जंतर मंतर जैसे अद्वितीय वेधशाला का भी निर्माण करवाया। जयपुर पर 18वीं और 19वीं सदी में विभिन्न युद्धों और आक्रमणों का प्रभाव पड़ा, लेकिन यह शहर अपनी ऐतिहासिक विरासत को संजोए रखने में सफल रहा। 1876 में, प्रिंस ऑफ वेल्स के स्वागत के लिए पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगा गया था, तभी से इसे "गुलाबी नगर" कहा जाने लगा। जयपुर की समृद्ध संस्कृति जयपुर की संस्कृति उस...

जालिया वाला बाग: शहीदों की भूमि का दर्दनाक इतिहास

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  जालिया वाला बाग: शहीदों की भूमि का दर्दनाक इतिहास परिचय: जालियांवाला बाग भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थल है, जो 13 अप्रैल 1919 को हुए नृशंस हत्याकांड के लिए जाना जाता है। यह स्थल पंजाब के अमृतसर में स्थित है और भारत की स्वतंत्रता संग्राम की कहानी कहता है। जलियांवाला बाग हत्याकांड: यह घटना 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन घटी थी। इस दिन हजारों निर्दोष भारतीय नागरिक, जिनमें पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल थे, जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा के लिए इकट्ठा हुए थे। वे रोलेट एक्ट का विरोध कर रहे थे, जिसे ब्रिटिश सरकार ने लागू किया था। ब्रिटिश जनरल माइकल ओ'डायर के आदेश पर जनरल रेजिनाल्ड डायर ने अपने सैनिकों के साथ बाग के एकमात्र प्रवेश द्वार को घेर लिया और बिना किसी चेतावनी के निहत्थे लोगों पर गोलियां चलवा दीं। इस नरसंहार में हजारों लोग मारे गए और कई घायल हो गए। गोलीबारी से बचने के लिए कई लोग बाग में मौजूद कुएं में कूद गए, लेकिन वे भी मौत के मुंह में समा गए। घटना का प्रभाव: इस हत्याकांड ने पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया। महात्मा गांधी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने इसके विरोध मे...

राजस्थान की संस्कृति

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 राजस्थान: रंग, रीति और विरासत का संगम राजस्थान, जिसे "राजाओं की भूमि" कहा जाता है, भारत की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और भव्यता का प्रतीक है। यहाँ की हर गली, हर किला और हर लोकगीत एक कहानी कहता है। आइए, इस ब्लॉग में राजस्थान की संस्कृति की झलक देखें। --- 1. राजस्थानी परिधान: रंगों की बहार राजस्थान का पारंपरिक परिधान इसकी सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है। पुरुषों का परिधान: धोती, कुर्ता, अंगरखा और साफा (पगड़ी)। महिलाओं का परिधान: घाघरा-चोली और ओढ़नी, जो जटिल कढ़ाई और गोटा-पत्ती वर्क से सजी होती हैं। पगड़ी: यह सम्मान और पहचान का प्रतीक होती है। अलग-अलग क्षेत्रों की पगड़ियों के अलग-अलग रंग और स्टाइल होते हैं। --- 2. लोक नृत्य और संगीत राजस्थान का संगीत और नृत्य इसकी आत्मा में बसता है। लोक नृत्य: घूमर, कालबेलिया, चारी नृत्य, भवई और गेर। लोक संगीत: मांड, पंढारी, और गोरबंद गीत। वाद्य यंत्र: रावणहत्था, खड़ताल, मोरचंग और सरंगी यहाँ के प्रमुख वाद्ययंत्र हैं। --- 3. राजस्थानी व्यंजन: स्वाद का खज़ाना राजस्थान के भोजन की खासियत यह है कि यह कम पानी में बनने वाले और लंबे समय तक टिकने वाले व्य...

उदयपुर की संस्कृति

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 उदयपुर, जिसे "झीलों का शहर" कहा जाता है, राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ की संस्कृति में राजस्थानी परंपराओं, मेवाड़ी लोकसंस्कृति, और ऐतिहासिक विरासत की झलक देखने को मिलती है। 1. पहनावा पुरुष: पारंपरिक धोती-कुर्ता, अंगरखा, और सिर पर साफा (पगड़ी)। महिलाएँ: घाघरा-चोली, ओढ़नी, और पारंपरिक आभूषण जैसे चूड़ा, बिछुए, व बाजूबंद। 2. भाषा मुख्य भाषा मेवाड़ी है, लेकिन हिंदी और अंग्रेज़ी भी प्रचलित हैं। 3. लोकनृत्य और संगीत घूमर नृत्य (महिलाओं द्वारा किया जाने वाला पारंपरिक नृत्य) कथपुतली नृत्य कालबेलिया और भवाई नृत्य लोक संगीत में मांड, पढ़, और बाजरावट प्रसिद्ध हैं। 4. कला और हस्तशिल्प मिनिएचर पेंटिंग (राजस्थानी लघु चित्रकला) हस्तनिर्मित गहने और राजस्थानी पॉटरी कुंदन और मीनाकारी कला लकड़ी और संगमरमर की नक्काशी 5. त्योहार और मेले मवाड़ उत्सव (राजस्थानी संस्कृति को समर्पित) गंगौर महोत्सव (महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला पारंपरिक त्योहार) शिल्पग्राम मेला (हस्तशिल्प और लोककला का प्रमुख मेला) होली और दीपावली विशेष धूमधाम से मनाई जाती हैं। 6. खान-पान दाल-बाटी-चूर...

भारत

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 भारत: एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर भारत, जिसे "अनेकता में एकता" के प्रतीक के रूप में जाना जाता है, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यह देश प्राचीन सभ्यताओं, ऐतिहासिक धरोहरों, विविध परंपराओं और आधुनिक प्रगति का अद्भुत संगम है। --- भारत का ऐतिहासिक महत्व भारत का इतिहास हजारों साल पुराना है, जिसमें सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक काल, मौर्य और गुप्त साम्राज्य, मुगल शासन और ब्रिटिश उपनिवेशवाद जैसे कई महत्वपूर्ण चरण शामिल हैं। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली, और तब से यह एक सशक्त लोकतंत्र के रूप में विकसित हुआ है। प्रमुख ऐतिहासिक स्थल 1. ताजमहल (आगरा) – प्रेम का प्रतीक और विश्व धरोहर स्थल। 2. कुतुब मीनार (दिल्ली) – भारत की इस्लामी वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण। 3. जयपुर और उदयपुर के महल – राजस्थान की शाही संस्कृति को दर्शाने वाले स्थल। 4. हम्पी और खजुराहो – प्राचीन मंदिरों और मूर्तिकला की अनूठी झलक। --- संस्कृति और परंपराएँ भारत की संस्कृति इसकी भाषाओं, त्योहारों, वेशभूषा, संगीत और खान-पान में झलकती है। यहां 1,600 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं और...

Rajasthan

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 😍Rajasthan Bharat ka sabse bada rajya h             Rajasthan me phanava bhi sabse alag h Rajasthan me me kai gumane ki jagh h Rajasthan ko dhora ri dharti bhi kha jata h yaha ka bhojan dal baati churma h Rajasthan me  pasu palan bhi kiya jata h or Rajasthan ka rajya pashu chinkara vha uoot h Rajasthan ka rajya paksi godavan h Rajasthan rajya pushp rohida h Rajasthan khi paryatak Sthal h jinme nimn jile aate h jaypur udaipur jodhpur athva Anya jile h Rajasthan ka kasmir Udaipur ko kha jata h Rajasthan me Aravali parvat mala bhi h Rajasthan ki sabse uchi choti guru shikar h Rajasthan me khi  bhadur Raja bhi the jinme phala name mharana Pratap ka aata h Rajasthan me khi khanij ki khadhan bhi h.                                                                      ...

ग्रेगर जॉन मेंडल की जीवनी

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मंडल का जन्म एक गरीब परिवार में ऑस्ट्रिया के ब्रून कस्बे 22 जुलाई 1822 में हुआ था गरीब परिवार से होने के कारण इनहोन अपनी पढाई 11 वर्ष की आयु तक गिरजागर्मे में की थी इसके उपरान्त उच्च अध्ययन हेतु ओमलटच की एके संस्था में एडमिशन लिया वहां इनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहा और अन्होन संस्था को छोड़ दिया था तथा पुन्ह स्टडी हेतु वियना विश्व विद्यालय में एडमिशन लिया लेकिन फेल हो जाने के करण वर्ष 1843 ऑस्ट्रिया मुख्य ब्रून शहर के धार्मिक का में पड़री का पद ग्रहण कर लिया यहीं पर इनहेन ग्रेगरी जे की। उपधि मिलि.मेंदल अपने पिता के साथ रहते थे मंडल ने अपने प्रयोग के निष्कर्ष को वर्ष 1866 में the annual proceedings of the natural history of society of brunn s नामाक पत्रिका में Experiments of the plant hybrids Naamak shirshak se prakashit kiya   शोध पत्र को अनहोन विभीन विश्व विद्यालय में भी अध्ययन हेतु भेज दिया गया है.                                                    ...

Udaipur ki sthapna

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महाराणा उदयसिंह  Himanshu jdl live  एक बार अपने शिकार अभियान के दौरान, महाराणा उदय सिंह की मुलाकात अरावली पर्वतमाला में एक पवित्र ऋषि से हुई। ऋषि ने राजा को इस उपजाऊ घाटी में एक राज्य बनाने का निर्देश दिया, जो ऊँची-ऊँची अरावली पहाड़ियों द्वारा संरक्षित होगा। परिणामस्वरूप, महाराणा उदय सिंह ने 1553 ई. में उदयपुर की स्थापना की